9.10.10


प्रिय मित्रों!
मेरी काव्य वाटिका अब पूरे बगीचे का रूप ले चुकी है। अब ब्लॉग की क्यारी में उगी तुलसी वेबसाइट के बगीचे में महक रही है। इस बग़ीचे में आपको विविध क्यारियों की महक और सौंदर्य एक साथ मिलेगा। कृपया ऊपर दिये गए चित्र पर क्लिक करें और हमारे नए घर पधारें-

13.2.09

मेरी ढेर सारी कवितायें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें-

www.kavyanchal.blogspot.com

असुविधा के लिए खेद है
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असुविधा के लिए खेद है

8.2.09

चंद पहरों की जिंदगानी में
कितने चेहरे बदल गया सूरज
दो घड़ी आँख से ओझल क्या हुआ
लोग कहते हैं ढल गया सूरज
रात गहराई तो समझ आया
सारी दुनिया को छल गया सूरज
आज फिर रोज़ की तरह डूबा
कैसे कह दें संभल गया सूरज